क्या ही धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोषा रखता है
(भजन संहिता 40:4)
- एक बार एक नया जोड़ा, जिनकी अभी-अभी शादी हुई थी, अपने किसी रिश्तेदार के घर मिलने जा रहे थे...
- गाँव के रास्ते में एक नदी भी पड़ती थी...उस गहरी नदी को पार करने के लिए केवल एक ढोंगा ही थी (छोटी गोल नांव) जिसे वहां का एक बुजुर्ग मांझी (नाविक) चलाता था।
- मौसम बड़ा ही सुहावना था...दोनों बड़े ही खुश थे...उन्होंने नदी पार करने के लिए उस बुजुर्ग मांझी को बुलवाया...और उस छोटे नांव पर दोनों सवार हो गए।
- यह स्त्री पहली बार इस छोटी नांव में बैठी थी...जैसे जैसे नांव आगे गहरे पानी में जा रही थी..वैसे वैसे स्त्री का डर बढ़ता जा रहा था...उसने नांव को जोर से पकड़ लिया और कांपने लगी...
- पुरुष यह सब देख रहा था...और सब कुछ समझते हुए उसने मांझी से कुछ सवाल पूछना शुरू किया...
- मांझी आप कितने वर्षों से नांव चला रहे हो...नाविक ने कहा, 'बेटा 45-50 साल हो गए होंगे...जब से होश संभाला है तब से नांव ही चला रहा हूँ ...व्यक्ति ने दूसरा सवाल पूछा...अच्छा भैया ये बताओ...क्या कोई आपकी नांव में डूब के मरा है...क्या आपकी नांव कभी डूबी है....
- इतना सुनकर वह नाविक थोडा जोर से बोला, 'कैसी बात कर रहे हो बेटा'...उमर बीत गई नांव चलाते-चलाते...न हमारी नांव कभी डूबी है न कोई इसमें से गिरकर मरा है....
- इतना सुनते ही वह स्त्री बिलकुल शांत हो गई...उसे पता चल गया कि यह नांव नहीं डूबेगी...वह बिलकुल सुरक्षित नांव में है।
- हाँ मित्रों हम जो प्रभु यीशु परमेश्वर पर विश्वास करते हैं हम लोग भी सुरक्षित नांव में हैं....हजारों वर्षों से जो कोई उस पर सवार हुआ है...या उस पर विश्वास किया है वो कभी नहीं पछताया उसका...मुंह कभी शर्मिंदा नहीं हुआ है..यह नांव कभी नहीं डूबेगी...
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