महान आदेश
तुम सारे
जगत में जाकर सारी सृष्टी के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो। (मरकुस 16:14)
एक बुजुर्ग आदमी का आम का बहुत बड़ा बगान था, जिसमें
लाखो आम के पेड़ थे, पूरे बगान की सारी जिम्मेदारी इस बुजुर्ग के कांधो पर ही थी। इस बुजुर्ग ने एक बार विचार किया क्यों न लोगों को इस आम
के पेड़ों से आम तोड़ने के लिए काम पर लगाया जाए...क्योंकि हर साल आम उगते हैं और पक
कर गिर जाते हैं कोई इन्हें तोड़ने वाला नहीं है। यह विचार आते ही इस बुजुर्ग व्यक्ति
ने अखबार में इश्तेहार दिया की आम तोड़ने के लिए लोगों की जरूरत है। अखबार बढकर कई जवान
लोग इस नये प्रकार के जॉब में आए... और बुजुर्ग ने उन्हें बताया देखो तुम्हे केवल एक
काम करना है कि इन आमों को तोड़ना है क्योंकि कई वर्षों से आम ऊगते हैं और गिर कर नाश
हो जाते हैं। उन सभी जवानों ने कहा यह हमारे लिए बहुत ही सरल काम है। उस बुजुर्ग व्यक्ति
के सामने से जाने के बाद सभी ने आपस में विचार किया इससे पहले कि आम तोड़े हम लोगों
को आम के पेड़ों को गिनना चाहिए। और उन्होंने स्वयं ही दो टीम बनाई और आधी टीम बाएँ
तरफ और आधी टीम दाईं तरफ से आम के पेड़ों को गिनने गले। कई वर्ष बीत जाने पर दुखी बुजुर्ग
ने देखा कि आम तो तोड़े नहीं जा रहे ये टीम तो केवल लेखा जोखा अकाउंटिंग ही कर रही है।
उस बुजुर्ग ने पुनः अखबार में विज्ञापन दिया, कुछ और लोग आये जो ज्यादा पढ़े लिखे थे....
इस
टीम को भी सिखाया गया कि आपको केवल आम तोड़ने हैं...बुजुर्ग के सामने से जाते ही इस
टीम ने भी सोचा आम तोड़ेंगे तो रखेंगे कहाँ। इसलिए चलो पहले आम रखने के लिए एक स्टोररूम
बनाने लगे। तीसरी बार विज्ञापन दिया गया तीसरी टीम ने सोचा अरे यह तो खुला हुआ बागान
है यदि कोई आम चोरी कर लेगा तो क्या होगा इसलिए उन्होंने आपस में निर्णय कर के उस पूरे
बगान के इर्द गिर्द दीवार बनाने लगे....कई वर्ष बीतते चले गये कोई टीम गणना कर रही
थी। कोई दीवार बना रहे थे तो कोई स्टोररूम...हर वर्ष आम उगते और गिरते रहे...और नाश
होते रहे फिर से विज्ञापन दिया गया और हिदायत दी गयी सभी से अनुरोध है केवल एक ही काम
के लिए आपको बुलाया गया है आपको केवल उसी काम को करना है कि आपको आम तोड़ने हैं...यह
टीम कुछ ज्यादा पढ़ी लिखी थी सबने अच्छे कपड़े पहने हुए थे उन्होंने सोचा यदि हम पेड़ों
पर चढ़ेगे तो कपड़े खराब हो जाएगें इसलिए उन्होंने एक उपाय किया की हम नीचे खड़े होकर
ही आम तोड़ेंगे हम पत्थर से आम तोड़ेंगे इसलिए उनहोंने पत्थर से आम तोडना शुरू किया जिससे
कई आम खराब जो गये कुछ फूट गये कुछ आम सही निकले....कुछ इसी तरह से सेवा काम भी हुआ
है परमेश्वर ने प्रारंभ से मनुष्यों को अपनी प्रजा को बचाने के लिए लगातार लोगों को बुलाहट देते रहे हैं
जिसमें कुछ आफिस में बैठ कर रिपोर्ट सपोर्ट में लग गये, कुछ बिल्डिंग बनाने में, कुछ
राजनीति व नुक्ताचीनी करने में...आज भी करोड़ों लोग बिना उद्धार के पापों में मर रहे
हैं जबकि उसका वचन कहता है जाओ सारी स्रष्टि को उद्धार का सुसमाचार सुनाओ....
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