अकारण चिंता
"किसी भी बात चिंता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएं" (फिलिप्पियों 4:6)
हम सभी जानते हैं चिन्ता से कभी भी कोई लाभ नहीं हुआ है। फिर भी शायद ही ऐसा कोई होगा जो किसी भी बात की चिंता न करता हो...कभी कभी तो हम बिना किसी कारण के चिंता करने लगते हैं। पास के ही गाँव में कुछ दिन पहले कई औरतों का एक बड़ा झुण्ड रो रहा था।
एक बुद्धिमान व्यक्ति वहीं उनके पास से होकर जा रहा था उसने यह जानने के लिए कि ये सभी औरतें क्यों रो रही हैं पास गया तो देखा कि सभी औरतें एक कुँए के आस पास खड़ीं हैं और जोर जोर से रो रहीं हैं। उसने हिम्मत करके बड़े दुःख के साथ एक औरत से पूछा बहन जी आप क्यों रो रही हो?
उस औरत ने कहा "मेरे पडोस में रहने वाली औरत यहाँ पानी भरने आई थी मैं भी पानी भरने आई जब मैंने उसे रोते देखा तो मैं भी रोने लगी।
उसने उस दूसरी बहन से पूछा बहन आप क्यों रो रही हो क्या दुःख है उसने भी इसी प्रकार कहा कि मैं जब पानी भरने आई तो उससे पहले वाली औरत को रोते देखा तो मैं भी रोने लगी।
बुद्धिमान व्यक्ति ने पूछते पूछते सबसे पहली वाली जवान स्त्री से पूछा जो अभी कुँए से पानी खींच रही थी और रोते जा रही थी कि बहन आप क्यों रो रही हो???
एक बुद्धिमान व्यक्ति वहीं उनके पास से होकर जा रहा था उसने यह जानने के लिए कि ये सभी औरतें क्यों रो रही हैं पास गया तो देखा कि सभी औरतें एक कुँए के आस पास खड़ीं हैं और जोर जोर से रो रहीं हैं। उसने हिम्मत करके बड़े दुःख के साथ एक औरत से पूछा बहन जी आप क्यों रो रही हो?
उस औरत ने कहा "मेरे पडोस में रहने वाली औरत यहाँ पानी भरने आई थी मैं भी पानी भरने आई जब मैंने उसे रोते देखा तो मैं भी रोने लगी।
उसने उस दूसरी बहन से पूछा बहन आप क्यों रो रही हो क्या दुःख है उसने भी इसी प्रकार कहा कि मैं जब पानी भरने आई तो उससे पहले वाली औरत को रोते देखा तो मैं भी रोने लगी।
बुद्धिमान व्यक्ति ने पूछते पूछते सबसे पहली वाली जवान स्त्री से पूछा जो अभी कुँए से पानी खींच रही थी और रोते जा रही थी कि बहन आप क्यों रो रही हो???
उस जवान स्त्री ने कहा, "मैं पानी भरते हुए सोच रही थी कि एक दिन मेरी शादी होगी और मेरा भी एक सुंदर बेटा होगा जो बहुत शरारती होगा और मेरे पीछे पीछे पानी भरने आयेगा और यदि वह इस गहरे कुँए में गिर जाएगा तो मैं क्या करूंगी इसलिए मैं सोच सोच के दुःख के मारे रो रही हूँ।
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